Friday 7 March 2014

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प्रियवर  मानिक जी ,

‘कविता का वर्तमान’ विषय पर अपना आलेख भेज रहा हूँ। आप देखें। मैं अपनी तरह उसे समझने और व्याख्यायित करने की कोशिश की है। वर्तमान का कथ्य और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि जाने समझे हम अमूर्तन में अनेक बाते करते रहेंगे। मैं ने समकालीनता , आधुनिकता तथा लोक को लेकर भी कुछ सवाल उठाए है। अच्छा है इन पर चर्चा हो। और बातें भी सामने आएँ। 

मैं फरीदाबाद से 9 मार्च को जयपुर के लिए जा रहा हूँ। वहाँ पहुँच कर पुनः सम्पर्क होगा।आप ‘अंपनी माटी’ के माध्यम से एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। कुछ बाते ऐसी हैं जिन्हें स्मरण कराना बहुत जरूरी है। अपनी माटी के माध्ययम से ही हम अपनी जमीन, जड़ें तथा जातीयता से जुड़ पाएँगें। लोग इनसे दूर ही नहीं हुए बल्कि उन्हें विस्मृत भी कर रहे हैं। 

सस्नेह , आपका विजेंद्र